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Charam 1-5

Charam 1-5

Charam 1-5

चरम 1-5 अनिल चावला द्वारा एक अद्भुत संकलन है जो आध्यात्मिक शिक्षाओं और ज्ञान का संग्रह प्रस्तुत करता है। गुरु-शिष्य संवाद पर आधारित यह संग्रह आत्मा, ब्रह्मांड और दिव्यता के स्वरूप पर समयातीत अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। आंतरिक परिवर्तन और आध्यात्मिक जागरण पर केंद्रित, चरम का प्रत्येक पृष्ठ पाठकों को जीवन की जटिलताओं को कृपा और बुद्धि के साथ नेविगेट करने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है।

चरम के पन्नों से कुछ शब्द :

- रे मायावी जीव! विषयों के जंगल में पीयूष शरीर धरे जा रहा है। होशियार, तेरे भीतर साक्षी स्वरुप जा रहा हूँ। तू पिता, माता, पत्नी, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री, बंधु और बांधवों से भेंट कर, समस्त दायित्व ग्रहण करते हुए गुरुद्वारस्थ होकर, मुझसे भेंट कर, पुनः लौट आना।-चरम - संख्या 2

- हम अविनाशी  ब्रह्म हैं। महाशून्य में परिपूर्ण हैं। हमारा आदि अथवा अन्त नहीं। केवल भाव में ज्ञान उदय होने से हमारा सूक्ष्म दर्शन मिलता है। हमारा नाम-अनाम है; रुप-अरुप है; आकार-अणाकार है; समाधि में हमें पा सकते हो। योगीगण योग के बल पर हमें पकड़ पाते हैं। हम सत्य हैं; सत्य संधानी ही हमें पाते हैं। - चरम - संख्या 2

- चरम! तोपकमान की धमक देकर क्या हृदय राज्य की जय कर सकते हैं रे? इसके लिए चाहिए स्नेह, ममता, प्रेम, प्रीति, आन्तरिकता, श्रद्धा, त्याग, दान, बन्धुत्व, भ्रातृत्व, अहंकार शून्यता, उदारता, सरलता, स्मितहास्य, मधुरवचन, निस्वार्थपरता एवं निर्लिप्तता। ये अष्टादश दिव्यगुण तो हमारे अष्टादश चिन्ह हैं रे बाबू! धर्म, शांति, दया, क्षमा हमारे शंख, चक्र, गदा, पद्म हैं। -चरम - संख्या 5

- चरम! रे मेरे प्रिय पुत्र!! प्रत्येक संप्रदाय और उस संप्रदाय के प्रवर्तक गुरुअंग पूज्य हैं, आराध्य हैं। तू उन्हें भक्ति सहित प्रणाम और सम्मान प्रदर्शित करना। किसी को न्यून अथवा असम्पूर्ण नहीं सोचना। किसी के प्रति असूया भाव प्रकट अथवा पोषण नहीं करना। तेरे लिए सभी समान हैं। सभी तेरे पिता की संतान हैं। सभी संप्रदायों के उत्स तेरे पिता - पूर्णपरंब्रह्म हैं।- चरम - संख्या 9

 

Key Features:

  • आध्यात्मिक ज्ञान: आत्मा और ब्रह्मांड के स्वरूप पर गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • गुरु-शिष्य परंपरा: प्राचीन भारतीय गुरु-शिष्य संवाद पर आधारित।
  • समयातीत शिक्षाएँ: आंतरिक परिवर्तन और आध्यात्मिक जागरण पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • सुलभ भाषा: स्पष्ट और आकर्षक शैली में लिखा गया।
  • सुलभ भाषा: स्पष्ट और आकर्षक शैली में लिखा गया।


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Bullets Points:

  • गहन आध्यात्मिक शिक्षाएँ प्रस्तुत करता है।
  • प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित।
  • आंतरिक परिवर्तन पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
  • एक सम्मानित लेखक और आध्यात्मिक साधक द्वारा लिखा गया।
  • पांच खंडों में संवाद और चिंतन शामिल हैं।
  • ISBN : 9789395773096

  • Publisher : Rigi Publication

  • Language : Hindi

  • Author: Anil Chawla

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