Janani Jathar Jarayu
Janani Jathar Jarayu
सबसे बड़ा चमत्कार मातृगर्भ में शिशु की रचना है। जहाँ से हम सब पूर्ण मानव शरीर धारण कर भूमिष्ठ होते हैं। सृष्टि का वही लुकायित रहस्य प्रभु कृपा से आज हमारे सम्मुख युगपुरुष श्रीश्रीश्री ठाकुर केशवचन्द्र जी के माध्यम से उनके द्वारा मातृगर्भ की स्वानुभूति के रूप में लिखित, 'चरम' शास्त्र के उड़िया भाषा में प्रकाशित 50 क्रमांको में 'जननी जठर जरायु' नामक शीर्षक के माध्यम से आया है।
किस प्रकार प्रत्येक आत्मा कारण जगत के पिण्डपुरुष मण्डल में अपने पूर्व जन्म के पाप व पुण्य रुपी कर्मों के फल के अनुरूप ऐश्वर्य धारण कर सूक्ष्म में बारह आवरण ग्रहण कर उपयुक्त शुभ व अशुभ मुहूर्त में मातृगर्भ में बिन्दु रूप में स्थापित होती है। उसी अद्वितीय आत्मा के वही बारह आवरण किस प्रकार चौंसठ स्तरों में शरीर में चित्त, मन, बुद्धि के साथ साथ समस्त शरीर की कोषों, ग्रंथियों व स्नायु के रूप में रचना कर पूर्णांग करने के साथ साथ ग्रह नक्षत्रों के साथ संयोग कर देते है । जिस कारण भूमिष्ठ होने के बाद उन्हीं ग्रह नक्षत्रों के स्थूल चलनानुसार हम गृहित फल भोग करते हैं।
उन्हीं 50 क्रमांको को इस हिन्दी पुस्तक में संजोया गया हैं ताकि संसार के सभी भाई व बहन इस महनीय ज्ञान से वाकिफ होकर अपने जीवन को अनुरूप ढ़ंग से परिचालित कर अपने जीवन की सार्थकता को उपलब्ध कर सके।
Key Features:
- मातृगर्भ में आत्मा की गूढ़ यात्रा को दर्शाती है।
- चरम शास्त्र के पचास अध्यायों का संग्रह।
- कर्म, ग्रह-नक्षत्रों और जीवन की संरचना का विवरण।
- आध्यात्मिक ज्ञान के साथ आधुनिक दृष्टिकोण का संगम।
- आत्मबोध और आध्यात्मिक उन्नति के इच्छुक पाठकों के लिए आदर्श।
Bullets Points:
- जीवन की उत्पत्ति और मातृगर्भ के रहस्यों को जानें।
- कर्म और ग्रह-नक्षत्रों के प्रभावों को समझें।
- युगपुरुष श्री श्री श्री ठाकुर केशवचन्द्र जी की शिक्षाओं से प्रेरित।
- आध्यात्मिक और दार्शनिक उत्साही पाठकों के लिए उपयुक्त।
- जीवन की सार्थकता और आत्मबोध की नई दिशा प्रदान करती है।
ISBN : 9789363887725
Publisher : Rigi Publication
Language : Hindi
Author: अनिल चावला

