Keshav Kaivalya Kanika 2023 Edition
Keshav Kaivalya Kanika 2023 Edition
आश्रमगत भक्त अनुगत शिष्यों के साथ कथोपकथन के समय ठाकुर केशवचन्द्र जी विभिन्न प्रसंगों में उपदेश, टिप्पणी, मीमांसा, सिद्धान्त, निष्पत्ति इत्यादि दिया करते थे। परम कारुणिक श्रीश्रीश्री ठाकुर जी के श्रीमुख निःसृत वाणी गुच्छ ही कैवल्य कणिका हैं। उन वाणियों को गुरुभाइयों ने लिपीबद्ध किया है। “तुम्हारी वाणी, हमारे लिए, कैवल्य स्वरुप बन कर। नित प्रीति किये, करनी का पाप-पंक, कर देता है परिष्कार।” केशव कैवल्य कणिका पान करने से, जन्मजन्मान्तर के सकल पापताप धौत हो जाते हैं। कैवल्य कणिका पालन करने से, जीवन के प्रत्येक वृत्त की यातना व यन्त्रणा प्रशमित ही केवल नहीं होती, मिलती है प्रचुर प्रशांति व प्राणशक्ति। जगत् कल्याण, लोकशिक्षा व चरित्रगठन लक्ष्य से यह प्रत्येक का शिक्षणीय एवं आचरणीय है। यह कैवल्य कणिका ही अनुगत, अनुरक्त अगणित भक्तों की मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण और चरम प्राप्ति की चाबी है। ‘चरम’ पृष्ठ पर इसी स्तम्भ में बहु उपादेय वाणी प्रकाश की गयी हैं। इस पुस्तक में ठाकुर जी की 700 से ज्यादा वाणियाँ लिपीबद्ध हैं। प्रत्येक वाणी बहुत तात्पर्यपूर्ण है। आशा करता हूँ आप सब इनका पान कर अपने जीवन में उतार सकेंगे।
संग्राहकर्ता अनिल चावला
ISBN : 9789391041984
Publisher : Rigi Publication
Language : Hindi
Author: Anil Chawla

