top of page
Koumudi

Koumudi

Koumudi

Author: Shivrani Devi

 

शिवरानी देवी की यह कहानियाँ सरस्वती प्रेस, बनारस से 1937 में छपी थीं । उनको प्रकाशित हुए अस्सी साल से ऊपर हो गये हैं । इनका फिर से छप जाना अब आवश्यक लग रहा है । साहित्य एक ऐतिहासिक परिवेश में लिखा जाता है । 1920 और 1930 के दशक की सामाजिक उथल पुथल में प्रेमचंद और उनकी पत्नी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी । जिन राजनीतिक साहित्यिक कामों में प्रेमचंद मुबतिला थे, उनमें शिवरानी देवी भी उनके साथ थीं । वे दोनों सामाजिक बदलाव के कर्ता भी रहे और उसकी विषय–वस्तु भी । जहाँ समाज उन्हें गढ़ रहा था, वे खुद समाज को गढ़ रहे थे । उनके जीवन में निजी और राजनीतिक एक हो गये थे । स्वतन्त्रता के लम्बे संघर्ष के दौरान शिवरानी देवी ने लखनऊ स्थित महिला आश्रम में काम किया और अपनी अगुवाई में 1929 में गांधीजी से प्रभावित होकर छप्पन औरतों को विदेशी कपड़े के खिलाफ धरने में ले गयीं । महिला आश्रम की जन सभा में 12000 लोगों के सामने उन्होंने ज़ोरदार भाषण दिया और अपनी राजनीतिक गतिविधियों के कारण कई बार जेल भी गयीं । बल्कि कमज़ोर सेहत वाले अपने पति के बजाये वह खुद जेल जाना पसंद करती थीं ।

    ₹350.00Price
    Quantity
    bottom of page