Premchand Ki Dalit Kathayen
| इस पुस्तक में प्रेमचंद की 15 ऐसी कहानियाँ हैं जिनके केन्द्र में जाति का सवाल और उससे उत्पन्न होते भेदभाव की समस्याएँ हैं। लगभग एक सौ साल पहले लिखी ये कहानियाँ, आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं, क्योंकि जाति के कारण उत्पीड़न की घटनाएँ अब भी आए दिन हो रही हैं। इस संकलन का उद्देश्य है कि प्रेमचंद की ऐसी कहानियाँ सामने आएँ जो इस दौर में भी दलित प्रश्नों पर समुचित विचार करती हों। प्रेमचंद ने मनुष्य के मूल स्वभाव को समझते हुए अनेक मूल्यवान चरित्र इन कहानियों में रचे हैं जो दलित समस्या के प्रति हमें जागरूक और अधिक संवेदनशील बनाते हैं। हिन्दी साहित्य के सुपरिचित अध्येता, आलोचक और संपादक डॉ. पल्लव ने प्रेमचंद की कहानियों का यह संकलन तैयार किया है और एक लम्बी भूमिका भी लिखी है। उनकी अनेक मौलिक संपादित किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें 'प्रेमचंद की व्यंग्य कथाएँ', 'प्रेमचंद की स्वतंत्रता संग्राम कथाएँ' तथा 'एक दो तीन' उल्लेखनीय हैं। साहित्य संस्कृति के संचयन 'बनास जन' का संपादन कर रहे डॉ. पल्लव को 2008 का भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का 'युवा पुरस्कार', 2012 का 'आचार्य निरंजननाथ प्रथम कृति सम्मान' तथा 2018 का 'राजस्थान पत्रिका सृजन पुरस्कार' सहित अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं। 2010 से डॉ. पल्लव दिल्ली के प्रतिष्ठित हिन्दू कॉलेज में कार्यरत हैं। |
Publisher : Rajpal and Sons
Author : Pallav
Language : Hindi
ISBN Code : 9789349162440
₹250.00Price

