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Samadhi Aur Kundalini (ek Naisargik Sadhna)

Samadhi Aur Kundalini (ek Naisargik Sadhna)

Samadhi Aur Kundalini (ek Naisargik Sadhna)

‘‘समाधि तो ‘स्व’ से ‘त्वम्’ में प्रवेश कर जाने की स्थिति है। स्व बिखरा हुआ है, त्वम एकीभूत है। स्व क्षणिक है, क्षुद्रस्वरूप है, खण्ड-खण्ड है। त्वम एक है, समग्र है, समष्टि है, सर्वत्र है, सर्वकालिक है, अनन्त है। सर्वत्र होते हुए भी उसको पकड़ा नही जा सकता, अपितु उसमें समाहित हुआ जा सकता है।’’ 

कुण्डलिनी व उसके विस्तार पर साधक (लेखक) की यह तीसरी कृति है। इसके पूर्व के दोनों ग्रन्थों के लिए प्रबुद्ध पाठक वर्ग ने हृदय से सराहना की है। इस पुस्तक में साधना जगत की अप्रतिम अवस्था ‘समाधि’ के विषय-वस्तु पर विचार-विचरण और उसकी व्याख्या की गई है। और ‘कुल-कुण्डलिनी’ के साधनामय जीवनकी अन्तरंग भूमि पर अवतरण होने की स्थितियों के बारे में प्रकाश डाला गया है। 

पूर्ण विश्वास है कि इस विषय पर यह पुस्तक परम प्रेरणादायक व ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी। 

  • ISBN : 9789395773010

  • Publisher : Rigi Publication

  • Language : Hindi

  • Author: Rakesh Kumar G

₹249.00Price
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